ANTARRASTRIYA MANVADHIKAR SANGH
{ INTERNATIONAL HUMAN RIGHTS FEDERATION }
WHAT IS HUMAN RIGHTS?
Human Rights are the basic rights of each individual in any part of the globe irrespective of cast, creed, sex, age, colour, status. It encompasses all social economic political, cultural anti-elements based on law of nature with the aim of ensuring justice, freedom and equality viz. individual and collective existence.
Agencies which implement human rights include United Nations (Office of the High Commissioner for Human Rights), National Human Rights Commission in different countries, International Human Rights Movement and a number of NGO’s in different parts of the world Agencies which implement human rights include United Nations Agencies which implement human rights include United Nations.
MESSAGE FROM CHAIRMAN AMS
We are pleased to welcome you at Antarrastriya Manvadhikar Sangh’s website. International Human Rights Federation is an expression of national and international tradition.
Antarrastriya Manvadhikar Sangh is based on the philosophy of HUMAN RIGHTS. “Vasudhav Kutumbakum” (The whole World is family).
“Antarrastriya Manvadhikar Sangh” is a very good Organization, its ideology is strong, I feel great to join it and I will work with the Organization for the justice of the people.
- संघ का संबिधान
- सम्बद्ध संघठन
- सम्बद्ध प्रकोष्ठ
- संघठन को सहयोग करें
- संदेश आगे बढ़ाएं
- संघ से जुड़ें
- स्दश्यता फॉर्म
- शिकायत / सुझाव दें
- महिलओं के अधिकार
मानवाधिकार :-
मानवाधिकार का संविधान अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के मार्गदर्शक सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है। यह मानवाधिकार संघ की नींव को आकार देता है जिस पर संघ खड़ी है। हमारे मानवाधिकार के सभी सदस्य इस संविधान से बंधे हुए हैं और बड़े सम्मान और आदर के साथ इसे धारित करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ द्वारा संचालित संघठन………….
FEDERATION OF INTERNATIONAL HUMAN RIGHTS & SOCIAL JUSTICE ORGANIZATION (FIHRSJO)
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संघठन का महासंघ
ALL INDIA HUMAN RESEARCH & DEVELOPMENT EDUCATION COUNCIL (AIHRDEC)
अखिल भारतीय मानव अनुसंधान एवं विकाश शिक्षा परिषद्
ALL INDIA WOMEN SOCIAL JUSTICE COUNCIL (AIWSJC)
अखिल भारतीय महिला सामाजिक न्याय परिषद्
ALL INDIA FEDERATION OF BUSINESS & INDUSTRY (AIFBI)
अखिल भारतीय व्यापर और उद्द्योग महासंघ
ALL INDIA MAJDUR KALYAN MAHA SANGH (AIMKS)
अखिल भारतीय मजदुर कल्याण महासंघ
NAVIN CREATIVE FOUNDATION (NCF)
नई सोच संस्थान
MANAV ADHIKAR PARTY (MAP)
मानव अधिकार पार्टी
ALL INDIA CONSUMER RIGHTS COUNCIL (AICRC)
अखिल भारतीय उपभोक्ता अधिकार परिषद
सामाजिक न्याय सेल
महिला संरक्षण सेल
बाल संरक्षण सेल
युथ सेल
लीगल सेल
यह संघठन आपका है इसे तन, मन, धन, मजबूत बनाने मे सहयोग करें
संदेश आगे बढ़ाएं
आपका समर्थन हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हम आपके आभारी होंगे, यदि आप थोड़ा समय निकाल कर हमारे बारे में अपने मित्रों तक संदेश पहुंचाएंगे।
आप अपने दोस्तों से हमारे ऑनलाइन आउटरीच कार्यक्रम के बारे में छोटा सा संदेश साझा करेंगे तो हमें खुशी होगी। इससे न केवल हमें व्यापक रूप से लोगों तक पहुंचने में सहूलियत होगी, बल्कि इससे हमें हमारी विचारधारा का समर्थन करने वाले लोगों से जुड़ने में भी मदद मिलेगी।
आप सभी को बस इतना करना है कि नीचे दिए गए वेबसाइट के लिंक को और अपने तीन दोस्तों को संदेश के साथ भेज दें।
अपना समय देने के लिए धन्यवाद ……
मित्रों को भेजें
www.amsgov.in
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ से जुडे
मानव अधिकार शिक्षा ,मानव अधिकार के प्रचार – प्रसार के के लिए मानवाधिकार संघ से जुडे ।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ का मुख्य उद्देश्य समाज से अपराध खत्म करने मे सरकार को सहयोग देना है.
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नवीन सराफ जी के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ की स्थापना अपराध मुक्त समाज के निर्माण करने के लिए की गई |
“अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ” एक अंतर्राष्ट्रीय संघ है | यह संगठन भारत सरकार द्वारा पंजीकृत है | जिसका मुख्य उद्देश्य समय-समय पर परेशान जनता की कानूनी मदद करना है | वह जनता जो अपराध से ग्रस्त है, पुलिस को अपनी परेशानी या दुख बताते हुए घबराती है उन लोगो की परेशानी को समझना और पुलिस तक पहुंचाकर पुलिस से उनको अपराध एव अपराधियो से मुक्त करना ही हमारा मुख्य उदेश्य है | आज देश मे हर सरकारी विभागो मे “कोमन अपराध” भ्रष्टाचार के रूप मे पनप रहे है और समाज को अंदर ही अंदर खोखला कर रहे है| इसका बुरा असर हमारी आने वाली भावी पीढ़ी पर पङ रहा है | पुलिस को असामाजिक एव अपराधी तत्व हर तरफ से उन्हे अनेक गलत तरीको से बदनाम कर रहे है | अक्सर देखा गया है कि समाज मे कुछ लोग ऐसे भी होते है जो पुलिस को गलत समझते है | इनक़ा कारण क्या है कि असामाजिक एव अपराधी प्रकृति के लोग समाज मे पुलिस को बदनाम कर रहे है इससे आम आदमी का विश्वाश पुलिस से उठता जा रहा है | हमे इस उठे हुए विश्वाश को दुबारा जमाना है एव पुलिस कि एक अच्छी छवि से जनता को अवगत कराना है | पुलिस के साथ सहयोग से हर उस समस्या को हल करना है जो कि पुलिस वर्दी पहन कर नहीं कर पाती | उन सभी परिस्थितियो मे मैं आप सभी से विनती करता हूँ कि आप भी समाज मे अपराध एव अपराधियो को खत्म करने मे अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ के सदस्या बने और इस सगठन को हर संभव मदद करे ताकि आपकी आने वाली भावी पीढ़ी अपराध से बचे |
निर्भय एव सुरक्षित जीवन हर मानव का अधिकार है, यह परचारित करना
मानव जीवन व सम्पति कि रक्षा करना
सतर्कता से जीवन जीना
जनता अपनी सुरक्षा के लिए अपने को शिक्षित करना
जनता एव पुलिस के बीच कि दूरी को कम करना
अपराधियो कि छानबीन व पक़डने मे पुलिस की मदद करना
जनमानस मे राष्ट्रीय एकता की भावना को जागरूक व सुढ़्रढ बनाना
अलगाववादी व सांप्रदायिक ताकतो से लड़ना
नारियो को अपने अधिकार व उतरदायित्वो के प्रति सचेत करना
आपसी मनमुटाव व लड़ाई-झगडो को खत्म करने मे लोगो की मदद करना
पूरव दणिडत अपराधियो व उनके परिवारो को सामान्य जीवन जीने मे मदद करना
पूरव दणिडत अपराधियो के स्वयॅ सुधार हेतु जनमानस को प्रोत्साहित करना
नीतिगत मूल्यो का प्रचार करना व मानव जीवन के सुधार की दिशा मे कायॅ करना उन सभी प्रोजेक्ट या गतिविधियो को प्रोत्साहित करना जिनके द्वारा संस्था के लक्ष्य व उद्देश्यो को पूरा किया जा सके
उन सभी कायॅ को करना जिनसे संघ के उद्देश्यो की पूर्ति होती है
सरकारी,गैर सरकारी ,सामाजिक व राजनैतिक संस्थानो मे घूस व भ्रष्टाचार को रोकना
इन्ही शुभकामनाओ के साथ जयहिंद जय भारत ….!!!!!
देश भर में नारी उत्थान की बात बड़े ही जोर-शोर से उठाई जा रही है लेकिन देश की अधिकांश महिलाओं को सही मायनों में उनके मौलिक अधिकारों अथवा संवैधानिक अधिकारों की जानकारी ना के बराबर है। आइए जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय महिलाओं को क्या-क्या हक प्रदान किए गए हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 16 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है। समानता का मतलब ‘समानता‘, इसमें किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं है। समानता , स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार महिला-पुरुष दोनों को समान रूप से दिया गया है। शारीरिक और मानसिक तौर पर नर-नारी में किसी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक माना गया है। हालांकि आवश्यकता महसूस होने पर महिलाओं और पुरुषों का वर्गीकरण किया जा सकता है। अनुच्छेद-15 में यह प्रावधान किया गया है कि स्वतंत्रता -समानता और न्याय के साथ-साथ के महिलाओं/लड़कियों की सुरक्षा और संरक्षण का काम भी सरकार का कर्तव्य है। जैसे बिहार में लड़कियों के लिए साइकिल और पोषक की योजना, मध्यप्रदेश में लड़कियों के लिए ‘ लाड़ली लक्ष्मी’ योजना , दिल्ली में मेट्रो में महिलाओं के लिए रिजर्व कोच की व्यवस्था आदि।
स्वतंत्रता और समानता का अधिकार
अनुच्छेद-19 में महिलाओं को यह अधिकार दिया गया है कि वह देश के किसी भी हिस्से में नागरिक की हैसियत से स्वतंत्रता के साथ आ-जा सकती है, रह सकती है। व्यवसाय का चुनाव भी स्वतंत्र रूप से कर सकती है। महिला होने के कारण किसी भी कार्य के लिए उनको मना करना उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा और ऐसा होने पर वे कानून की मदद ले सकती है।
नारी की गरिमा का अधिकार
अनुच्छेद-23 नारी की गरिमा की रक्षा करते हुए उनको शोषण मुक्त जीवन जीने का अधिकार देता है। महिलाओं की खरीद-बिक्री ,वेश्यावृत्ति के धंधे में जबरदस्ती लाना, भीख मांगने पर मजबूर करना आदि दण्डनीय अपराध है। ऐसा कराने वालों के लिए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सजा का प्रावधान है। संसद ने अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम,1956 पारित किया है। भारतीय दंड संहिता की धारा-361, 363, 366, 367, 370, 372, 373 के अनुसार ऐसे अपराधी को सात साल से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा भुगतनी पड़ सकती है। अनुच्छेद-24 के अनुसार 14 साल से कम उम्र के लड़के या लड़कियों से काम करवाना बाल-अपराध है।
घरेलू हिंसा का कानून
घरेलु हिंसा अधिनियम, 2005 जिसके तहत वे सभी महिलाएं जिनके साथ किसी भी तरह घरेलु हिंसा की जाती है, उनको प्रताड़ित किया जाता है, वे सभी पुलिस थाने जाकर एफआईआर दर्ज करा सकती है, और पुलिसकर्मी बिना समय गवाएं प्रतिक्रिया करेंगे।
दहेज निवारक कानून
दहेज लेना ही नहीं देना भी अपराध हैं। अगर वधु पक्ष के लोग दहेज लेनी के आरोप में वर पक्ष को कानून सजा दिलवा सकते हैं तो वर पक्ष भी इस कानून के ही तहत वधु पक्ष को दहेज देने के जुर्म मे सजा करवा सकता हैं। 1961 से लागू इस कानून के तहत बधू को दहेज के नाम पर प्रताड़ित करना भी संगीन जुर्म है।
नौकरी/ स्व-व्यवसाय का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 16 में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि हर वयस्क लड़की व हर महिला को कामकाज के बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार पुरुषों के बराबर है। केवल महिला होने के नाते रोजगार से वंचित करना, किसी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करना लैंगिग भेदभाव माना जाएगा।
प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार: – अनुच्छेद-21 व 22 दैहिक स्वाधीनता का अधिकार प्रदान करता है। हर व्यक्ति को इज्जत के साथ जीने का मौलिक अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। अपनी देह व प्राण की सुरक्षा करना हरेक का मौलिक अधिकार है।
राजनीतिक अधिकार
प्रत्येक महिला व वयस्क लड़की को चुनाव की प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से भागीदारी करने और स्व विवेक के आधार पर वोट देने का अधिकार प्राप्त है। कोई भी संविधान सम्मत योगता रखने पर किसी भी तरह के चुनाव में उम्मीदवारी कर सकती है।
मानवाधिकार पर एक नजर
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संघ एक वोलेंटरी संगठन है । मानवाधिकार के हनन, उत्पीड़न, पर नजर रखता है अनुसंधान और जागरूकता फैलता है । ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन भारत के कई राज्यों में करता है, जल ही जीवन है, मानवाधिकार क्या है, ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर सेमिनार का आयोजन, निशुल्क कानूनी सलाह, लीगल पैनल का गठन कर समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचने की कोशिश करता है और जरूरतमंद को कानूनी सलाह, सरकार के द्वारा चलाए जा रहे मानव कल्याण के योजना की जानकारी देता है ।
मानवाधिकार हनन या समाज में होने वाले गलत कार्य के प्रति शिकायत मिलने पर या जानकारी होने पर टीम का गठन कर निशुल्क काउंसलिंग कर समस्या का समाधान करता है साथ ही संबंधित प्रशासन या सरकार को इसकी जानकारी देता है और पीड़ित को सामाजिक न्याय दिलाने का प्रयास करता है ।
विश्व पटल पर भारत शांति का पुजारी है और शांति सद्भावना और गरिमा के साथ जीवन यापन करने का संदेश देता है।
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का एक सक्रिय सदस्य है । इसी आधार पर भारत के संविधान में उन सभी विचारों आदशों मूल्यों एवम मानको का उल्लेख किया हैं जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर वर्णित हैं |
हमारे संविधान का भाग 3 (अनु० 12 से 35 ) मूल अधिकरों की घोषणा करता हैं और भाग 4 (अनु० 36 से 51 तक) राज्य के निति निर्देशक तत्वों का वर्णन करता हैं ।
वर्ष 1993 में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रयास से मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया गया |
भारत के तत्कालीन सरकार ने मानवाधिकारों के हनन को रोकने, जन मानस के मानवाधिकार की रक्षा और मानवाधिकार कानून के विषय में जागरूकता फैलाने के साथ ही मानव अधिकार के मुद्दो पर पैनी निगाह रखने के लिए वर्ष 1993 के सितंबर माह में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग [National Human Rights Commission] का गठन राष्ट्रपति के एक अध्यादेश के द्वारा किया गया |वर्ष 1994 में एक अधिनियम पारित कर राज्यों में मानवाधिकार आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया | यह आयोग मानवाधिकारों के हनन और उल्लंघन के मामलों की जांच स्वतः संज्ञान लेकर या किसी के द्वारा शिकायत किये जाने पर करता है |
झारखंड, बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, के साथ साथ देश के कई राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग कार्य कर रहे है ।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कार्यालय नई दिल्ली है |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर माननीय सर्वोच्च न्यायलय के सेवानिवृत न्यायधीश को नियुक्त किया जा है ।
मानव के अधिकारों का हनन ही मानवाधिकार का हनन है।
मानव को जन्म के साथ कुछ अधिकार और मौलिक अधिकार दिए गए है ।
मानवाधिकार का हनन कोई नहीं कर सकता चाहे वह व्यक्ति दबंग हो या सरकारी लोक सेवक |
उत्पीड़नकर्ता चाहे कितना ही उच्च या सशक्त पद पर हो, मानवाधिकार हनन या कानून को तोड़ने पर उक्त को व्यक्तिगत तौर पर न्यायलय की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है |
मानवाधिकार एक व्यापक है इसकी व्याख्या चंद शब्दो में नहीं की जा सकती है ।
मानवाधिकार मानव के जीवन काल से अंतिम सांस तक उसकी रक्षा करती है ।
जय हिंद